SC and ST Welfare Department of Madhya Pradeshअनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग,मध्य प्रदेश सरकारअनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग,मध्य प्रदेश सरकार का परिचय (Introduction of SC and ST Welfare Department) The State Welfare Department was setup with an aim to cater the needs of the welfare of Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes of the State. Under this department, various schemes are being implemented for educational development, economic development and social assistance. The schemes, which are being run, are based on different patterns. In fact majority to the schemes are being funded out of state allocations. Some schemes are funded on a 50:50 basis by the State and Central Govt. and some are based on 100% Central sponsorship. Welfare Department has planned the schemes as per the local requirement and local problems. Under the educational schemes, this department is running schemes with an aim to provide educational assistance right from the Std-I stage to Post Graduation level. Welfare Department is running different income generating schemes through two of its corporations viz. Madhya Pradesh State Scheduled Caster Co-operative Development Corporation, Patna and Madhya Pradesh State Backward Classes Finance & Dev. Corporation, Patna एक अप्रील , 2007 के प्रभाव से राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के समग्र विकास किये जाने के लिए पूर्ववती कल्याण विभाग से अलग कर “अनु0 जाति एवं अनु0 जनजाति कल्याण विभाग” के रुप मे स्थापित किया गया। इस विभाग के माध्यम से कई प्रकार के विशेष कार्यक्रम अनु0 जाति एवं अनु0 जनजाति के आर्थिक,शैक्षणिक,सामाजिक उत्थान के लिए चलाये जा रहे है । स्वतन्त्रता के पश्चात राष्ट्र निर्माताओं के द्वारा भारत को लोकतांत्रिक गणराज्य का स्वरुप प्रदान किया गया एवं भारतीय संविधान में घोषणा की गई कि राज्य के प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वन्तत्रता एवं गरिमा को बनाये रखना इसका प्रथम कत्र्तव्य होगा। इसे सुनिश्चित करने हेतु संविधान में समानता के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया। परन्तु भारतीय समाज की संरचना एवं उसमें व्याप्त जातिगत विभेद एवं असमानता की स्थिति को देखते हुए संविधान में नीति निदेशक सिद्धान्तों के माघ्यम से निर्देश दिया गया कि इसे समाप्त करने की दिशा में कठोर कदम उठाये जायें एवं जो वर्ग सदियों से उपेक्षित एवं शोषित हैं, उन्हें सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय दिलाने हेतु ब्यापक कार्यक्रम चलाये जायें । संविधान में समावेशित इन्ही मार्ग निर्देशक सिद्धान्तों की पूर्ति हेतु राजकीय संगठन की संरचना में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गो के सर्वांगीण विकास का उत्तरदायित्व दिया गया। इस समुदाय में मुख्यत: सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर अनु0 जाति, अनु0 जनजाति आते है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के कार्यक्रमों को मूलत: इन्हीं वर्गों के वहूमुखी विकास हेतु निरुपित किया गया है। विभाग के अधीन अन्य प्रमुख संस्थान एवं समितियां
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